Kumar Sashti
11 July, 2024
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Kumar Sashti कुमार षष्ठी : स्कंद षष्ठी कब है? जानिए पूजा अनुष्ठान, मुहूर्त और धार्मिक महत्व

कुमार षष्ठी: स्कंद षष्ठी कब है? जानिए पूजा अनुष्ठान, मुहूर्त और धार्मिक महत्व

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स्कंद षष्ठी कब है?

स्कंद षष्ठी की तिथि हर महीने चंद्र मास के अनुसार बदलती रहती है। इस वर्ष की प्रमुख स्कंद षष्ठी तिथियाँ निम्नलिखित हैं:

  • जनवरी: 28 जनवरी 2024
  • फरवरी: 27 फरवरी 2024
  • मार्च: 28 मार्च 2024
  • अप्रैल: 26 अप्रैल 2024
  • मई: 25 मई 2024
  • जून: 24 जून 2024
  • जुलाई: 23 जुलाई 2024
  • अगस्त: 22 अगस्त 2024
  • सितंबर: 21 सितंबर 2024
  • अक्टूबर: 20 अक्टूबर 2024
  • नवंबर: 19 नवंबर 2024
  • दिसंबर: 18 दिसंबर 2024

स्कंद षष्ठी का मुहूर्त

स्कंद षष्ठी के दिन पूजा और अनुष्ठान का मुहूर्त महत्वपूर्ण होता है। यह मुहूर्त दिनभर की षष्ठी तिथि के आधार पर निर्धारित होता है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान भक्त भगवान मुरुगन की पूजा कर सकते हैं और व्रत का पालन कर सकते हैं।

कुमार षष्ठी के पूजा अनुष्ठान

कुमार षष्ठी के दिन भक्त भगवान मुरुगन की पूजा करते हैं। पूजा और व्रत के अनुष्ठान विशेष होते हैं और भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। नीचे कुमार षष्ठी के प्रमुख पूजा अनुष्ठानों का विवरण दिया गया है:

1. व्रत का पालन Kumar Sashti

कुमार षष्ठी के दिन व्रत का पालन करना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्त निर्जला व्रत रखते हैं या केवल फल और दूध का सेवन करते हैं। व्रत के दौरान भगवान मुरुगन की उपासना की जाती है।

व्रत की विधि

  • प्रारंभिक स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थान को साफ करें और भगवान मुरुगन की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • संकल्प: व्रत का संकल्प लें और भगवान मुरुगन से व्रत को सफलतापूर्वक पूरा करने की प्रार्थना करें।
  • पूजा: भगवान मुरुगन की पूजा करें। उन्हें पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। स्कंद षष्ठी कवचम या अन्य मुरुगन स्तोत्रों का पाठ करें।
  • व्रत पालन: दिनभर उपवास रखें। यह उपवास निर्जला भी हो सकता है या फल और दूध का सेवन किया जा सकता है।
  • संध्या आरती: संध्या समय फिर से भगवान मुरुगन की पूजा करें और आरती उतारें। आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
  • कथा सुनना: भगवान मुरुगन की कथा सुनें या पढ़ें। इससे भक्तों को भगवान मुरुगन के जीवन और उनके कार्यों की जानकारी मिलती है।

2. मंदिर दर्शन Kumar Sashti

स्कंद षष्ठी के दिन भगवान मुरुगन के मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं। भक्त मंदिर में जाकर भगवान मुरुगन की मूर्ति का अभिषेक करते हैं और उन्हें फूल, फल, और नैवेद्य अर्पित करते हैं।

मंदिर दर्शन की विधि

  • मंदिर जाना: स्कंद षष्ठी के दिन सुबह-सुबह मंदिर जाएं। स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान मुरुगन की प्रतिमा के सामने बैठें।
  • अभिषेक: भगवान मुरुगन की प्रतिमा को गंगाजल, दूध, शहद, दही, और पंचामृत से स्नान कराएं। यह अभिषेक भक्तों की समर्पण और श्रद्धा को दर्शाता है।
  • फूल और फल अर्पण: भगवान मुरुगन को ताजे फूल और फल अर्पित करें। यह भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम का प्रतीक है।
  • धूप और दीप: भगवान मुरुगन की प्रतिमा के सामने धूप और दीप जलाएं। यह पवित्रता और शुभता का प्रतीक है।
  • स्कंद षष्ठी कवचम का पाठ: स्कंद षष्ठी कवचम या अन्य मुरुगन स्तोत्रों का पाठ करें। यह भगवान मुरुगन की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

3. स्कंद षष्ठी कवचम Kumar Sashti

इस दिन स्कंद षष्ठी कवचम का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान मुरुगन की महिमा का गुणगान करता है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए गाया जाता है।

स्कंद षष्ठी कवचम का महत्व

  • दिव्य शक्ति का अनुभव: स्कंद षष्ठी कवचम का पाठ करने से भक्त भगवान मुरुगन की दिव्य शक्ति का अनुभव करते हैं।
  • आध्यात्मिक उन्नति: इस कवच का पाठ भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
  • सुरक्षा और समृद्धि: स्कंद षष्ठी कवचम का पाठ करने से भक्तों को सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है।

4. ध्यान और मंत्र जाप Kumar Sashti

स्कंद षष्ठी के दिन भगवान मुरुगन का ध्यान और मंत्र जाप करना भी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। “ॐ सरवनभवाय नमः” मंत्र का जाप करना भक्तों के लिए शुभ माना जाता है।

ध्यान और मंत्र जाप की विधि

  • ध्यान: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें। अपनी आँखें बंद करें और भगवान मुरुगन का ध्यान करें। उनकी प्रतिमा या चित्र को मन में रखें और उनसे प्रार्थना करें।
  • मंत्र जाप: “ॐ सरवनभवाय नमः” मंत्र का जाप करें। यह मंत्र भगवान मुरुगन की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

5. संध्या आरती Kumar Sashti

संध्या समय में भगवान मुरुगन की आरती उतारना और भजन गाना भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस समय भगवान मुरुगन की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

संध्या आरती की विधि

  • प्रस्तुतियाँ तैयार करें: आरती के लिए दीप, धूप, फूल, और नैवेद्य तैयार करें।
  • आरती की शुरुआत: भगवान मुरुगन की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और आरती की शुरुआत करें।
  • भजन गाएं: भगवान मुरुगन की महिमा का गुणगान करते हुए भजन गाएं।
  • प्रसाद वितरण: आरती के बाद प्रसाद वितरित करें और सभी भक्तों को आशीर्वाद दें।

स्कंद षष्ठी का धार्मिक महत्व

स्कंद षष्ठी का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। भगवान मुरुगन को युद्ध और विजय का देवता माना जाता है। इस दिन भगवान मुरुगन की उपासना करने से भक्तों को साहस, शक्ति, और बुद्धि की प्राप्ति होती है। स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान मुरुगन की असुर सुरपदमन पर विजय की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व यह संदेश देता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है।

स्कंद षष्ठी पर्व की पौराणिक कथा

स्कंद षष्ठी की पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान मुरुगन का जन्म भगवान शिव और देवी पार्वती से हुआ था। वे कार्तिकेय के रूप में जाने जाते हैं और युद्ध के देवता हैं। एक समय की बात है, असुर सुरपदमन ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। देवता भगवान शिव के पास गए और उनसे मदद की प्रार्थना की। भगवान शिव ने अपने पुत्र मुरुगन को असुर का वध करने के लिए भेजा। मुरुगन ने अपनी दिव्य शक्ति और वीरता से सुरपदमन को पराजित किया और देवताओं को स्वर्ग वापस दिलाया। इस विजय को याद करने के लिए ही स्कंद षष्ठी पर्व मनाया जाता है।

Kumar Sashti 2024 is on July 11 Thursday

Kumar Sashti festival dates between 2020 & 2030

YearDate
2020Friday, 26th of June
2021Thursday, 15th of July
2022Monday, 4th of July
2023Saturday, 24th of June
2024Thursday, 11th of July
2025Monday, 30th of June
2026Sunday, 19th of July
2027Thursday, 8th of July
2028Tuesday, 27th of June
2029Monday, 16th of July
2030Saturday, 6th of July
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