fetival today Skanda Sashti Vratham 2024: Date, Rituals, History and Significance
Skanda Sashti की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक और रोमांचक है। यह त्योहार भगवान स्कंद, जिन्हें कार्तिकेय या मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है, के सम्मान में मनाया जाता है। भगवान स्कंद शिव और पार्वती के पुत्र हैं और उन्हें युद्ध और विजय के देवता माना जाता है।
कहानी के अनुसार, एक समय की बात है जब राक्षस सुरापद्मन ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। देवता उससे बहुत परेशान थे और उन्होंने भगवान शिव से मदद की प्रार्थना की। भगवान शिव ने अपनी दिव्य शक्ति से एक बालक को जन्म दिया, जिसका नाम स्कंद रखा गया। स्कंद ने युवावस्था में ही महान योद्धा बनने का संकल्प लिया और अपनी माता पार्वती के आशीर्वाद से उन्होंने सुरापद्मन से युद्ध करने का निर्णय लिया।
स्कंद और सुरापद्मन के बीच युद्ध कई दिनों तक चला। इस युद्ध में भगवान स्कंद ने अपनी बुद्धिमत्ता और वीरता का परिचय देते हुए सुरापद्मन का अंत कर दिया। इस विजय के बाद, देवताओं ने भगवान स्कंद की महानता और पराक्रम की प्रशंसा की और उन्हें युद्ध का देवता घोषित किया।
Skanda Sashti का त्योहार भगवान स्कंद की इसी विजय को मनाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा करते हैं, और भगवान स्कंद की कहानी का पाठ करते हैं। तमिलनाडु में, इस त्योहार पर विशेष रूप से बड़े नाटकीय प्रदर्शन होते हैं, जिनमें भगवान स्कंद की विजय की गाथा का नाट्य रूपांतरण किया जाता है।
यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और भक्तों को साहस, समर्पण और धार्मिकता की प्रेरणा देता है।
Skanda Sashti 2024 Date and Timings
EVENT | DATE AND TIME |
Skanda Sashti 2024 Date | Thursday, July 10, 2024 |
Sashti Tithi Begins | 10:03 AM, Jul 11, 2024 |
Sashti Tithi Ends | 12:32 PM, Jul 12, 2024 |
Skanda Sashti Significance
स्कंद सष्टी भगवान मुरुगन के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस त्योहार में भगवान मुरुगन के द्वारा राक्षस सुरपद्मन के पराजय की जीत की याद मानी जाती है, जो अच्छाई की विजय और बुराई के नाश को प्रतिष्ठित करती है। भगवान मुरुगन को युद्ध और विजय के देवता के रूप में समर्पित माना जाता है, और उन्हें स्वर्गीय सेना के सेनापति के रूप में भी जाना जाता है।
स्कंद सष्टी के दौरान, भक्तगण विशेष अवसर पर व्रत रखते हैं, स्कंद सष्टी कवचम जैसी पवित्र मंत्रों का पाठ करते हैं, मुरुगन मंदिरों का दर्शन करते हैं, और धार्मिक समारोहों और जुलूसों में भाग लेते हैं। इस पेरियड में भगवान मुरुगन की पूजा से वे साहस, बाधाओं का निवारण, और व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रयासों में विजय प्राप्त करने की कामना करते हैं।
यह त्योहार मात्र मिथकीय जीत का उत्सव नहीं है, बल्कि इससे भक्तगणों को अच्छाई और बुराई के बीच चल रहे अनन्त युद्ध की याद दिलाई जाती है, और उन्हें अपने जीवन में धार्मिक सहायता और मार्गदर्शन की आवश्यकता की पुनरावृत्ति की प्रेरणा दी जाती है।